ज़िंदगी की राहों में, अवरोधक व्यवधान बहुत हैं.. हैं मुश्किलें-परेशानियां, मगर समाधान बहुत हैं …।   हम बे-खौफ चलते जाएँ,राहे मंज़िल की तरफ सपने संजोए हैं अनेक, दिल में अरमान बहुत हैं…!   वक्त ही सिखाता है, ज़िंदगी का सबक हमें .. गैर तो गैर हैं अपने भी,अपनों से अंजान […]

सूरज आग उगलता जाए, आग की आंधी चलती है। धू-धू करके दिन जलता है, ‘निर्झर’ रात सुलगती है ।। जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, बढ़ती जाती  है गर्मी। तन पर कपड़े सहे न जाएं,न पहने तो बेशर्मी ।। धूप दुपहरी का क्या कहना,छाया में भी चैन नहीं। जो तन-मन को शीतल […]

समुद्र के किनारे रेत पर, टहलते……….टहलते…… गुनगुनाए जा सकते हैं गीत उकेरे जा सकते हैं प्रेम संदेश, या प्रिय का नाम.. पर कौन ले पाता है थाह समुद्र की गहराई कीl लहरें  केवल सतह ही नहीं होती, वे मथती रहती हैं.. खुद समुद्र को भी, गहराई तक दिन और रात.. […]

(वज़्न- 221,1222, 221,1222, अरकान-मफ़ऊल, मफ़ाईलुन,मफ़ऊल, मफ़ाईलुन रदीफ़-नहीं होता क़ाफ़िये-इज़हार, दिलदार,इक़रार,परिवार, सरदार,एतबार,इनकार, सरकार) ________::: क्यों प्यार वफ़ा का अब इज़हार नहीं होता, अब यार बहुत हैं पर दिलदार नहीं होता। ये दौर अजब-सा है, आया है समझ में कम, इक दूजे से मिलते हैं, इक़रार नहीं होता। खो जाते खुदी में […]

काट दिया सिर वीरों का,फिर से उन सब नापाकों ने। रक्त उतर आया है देखो,फिर से सबकी आँखों में।। ओज़ छोड़ अब मर्म समाया,देखो मेरी बातों में। देश का गौरव क्षीण किया है,बस ऐसे हालातों ने।। कुत्ते की दुम भी हाँ बंधु,सीधी भी हो सकती है। आतंकों में मानवता पर,कभी […]

सुनील वर्मा ऐ भारत के नौजवानों, कुछ नहीं रखा है बातों में , बंद करो दहेज़ प्रथा को या खुद चूड़ी पहनो हाथों में। बापू की वो प्यारी है, घर में राजदुलारी है.. छोड़ के सबकुछ अपना, वो आँगन तेरे आती है। दुनिया में तू हूँकार भरता है, काम लाखों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।