आज जीने के लिए, इक शिखण्डी चाहिए॥ औंधे मुंह है रुढ़ियां धूल भरी है आँख, चिकना खीरा रो रहा भीतर  देखे फाँक। इक नए संधान को, बस रणचंडी चाहिए॥ बन्दूकी आग डर रही उछले कंकड़-पत्थर, भूख करे गंधर्व गान भरे नोट मुह शंकर॥ आत्मरक्षा कर लिए, एक  बन्दी चाहिए॥ फटा […]

रिश्तों के गुलों को घर के कोनों में पड़े देखा, आज मैंने तहज़ीब को फिर मरते देखा। देखा आज अलग-अलग-सी बिकती खुशबूओं को, एक ही फूल को मंदिर और रंगीन बाजार में बिकते देखा। तू-मैं-हम सिर्फ औऱ सिर्फ एक छलावा सा है सुन ले दुनिया, बड़े-बड़े सिकंदरों को आज खाक […]

चारुचन्द्र की चाँदनी मनोहर, शरद रितु में जब-जब छाती। मेरे अनुरागी मन में प्रिया याद तेरी बरबस आती ॥ होती कठिन कठोर व्यथा, सहना या कहना घोर प्रिये। चक्रवात-सा विकल विवश, अजब अनोखा दर्द लिए॥ बैरन बन जाती है रजनी, तनहाई में तेरी हूक जगा!। प्रीत पंथ पर हरदम सजनी […]

हमेशा अपने हृदय की बातों को रोक पाना बहुत कठिन है, हमेशा चुप रह के सारे जुल्मों को सहते जाना बहुत कठिन है। सभी ने बचपन से ये सिखाया के सच का दामन कभी न छोड़ो, मगर ये सच्चाई मेरे प्यारे अमल में लाना बहुत कठिन है। मैं देश का […]

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प्रेम सत्य है, प्रेम शिव सुंदर सब कुछ है। प्रेम धरा से, सूर्य चंद्र दोनों का जग सुंदर॥ नमन ईश, जग सुंदर बना आपकी देन॥ प्रेम से रहो, प्रेम से सीखो सब प्रिय बनोगे॥                                 […]

  नील सरोरुह बीच खड़ी। मणि,मुक्ता,माणिक की सी लड़ी॥ दीप्त वर्ण सुवर्ण चरी। नव कली भांति आभा निखरी॥ पुष्पभारनमिता कमणी। सद्यः स्नाता कमसिन रमणी॥ जब केशराशि लहराती है। ऐसा आभास कराती है॥ ज्यों नील गगन से श्यामा बदली। मानो बूंदें बरसाती है॥                 […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।