मेरे सामने की दुनिया कितनी तेज़ी से बदल रही है, बदल रहे हैं कई शब्द लोप हुए जा रहे हैं कई अर्थ, उग आए हैं कई मुहावरे कंटीली झाड़ियों की तरह। मैं प्यार करता था जिस लड़की से, वो हिन्दू थी सोचा था मैं भी हो जाऊँगा हिन्दू ठीक उसी […]

हमारे बीच जो दीवारें हैं, उन्हें लांघने से पहले कुछ कहना चाहूंगी.. साथी मेरे मैं कोमल हूँ, मन से भी गर सम्भाल सको, तो छूना। मैं अहसास हूँ, विश्वास हो तो पाना, मैं गीत हूँ.. गर गा सको तो साधना। मैं तपस्या हूँ, गर कर सको तो गाँठना.. मुझे बन्धन […]

मेरे हिस्से में रात आई, रात का रंग काला है इसमें कोई दूजा रंग नहीं मिला, इसलिए सदा सच्चा है मेरी ज़िन्दगी भी अकेली है, कोई दूजा ना मिला। फिर दिन का हिस्सा, सफेद रंग का है जो दूजे रंग से मिल बना, झूठा-सा दिखता है फिर भी जीवन में, […]

ऐसे ही नहीं ये तरक्की आई है, तीज-त्यौहार पर हमने रुखी-सुखी खाई है। घर से अपने दूर रहते थे, माँ-बाप की नींदे बिसराई है। मीलों चले हैं इन रास्तों पर, दिल पर कई चोंटे भी खाई है। रिश्ते-नातों से तौबा की है साहब, कई रातें भी जागकर बिताई है। बहुत […]

इबादत वतन की सभी हम करेंगे, शहादत करें तो नहीं गम करेंगे। वतन वास्ते जान जाए भले ही, कि आँखें कभी हम नहीं नम करेंगे। सुनो यार अपने वतन की कहानी, मेरे दुश्मनों की नाक में दम करेंगे। हमारे इरादे अगर नेक हैं तो, करें आचमन गंग जमजम करेंगे। अमरनाथ […]

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‬अन्तःस्थल में उठती भाव रुपी लहरें, जब अनवरत हिलोरे खाती है। तब मानस पटल पर सहसा ही, कविता अंकित हो जाती है। हो जाए तो क्षण भर में ही, अन्यथा लम्बी यात्रा करवाती है। कभी कल्पना की उड़ान के साथ तो कभी निज अनुभवों को गाती है। कभी किसी दूसरे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।