यूँ तो सारा घर है मेरा, पर, घर के एक खाली कोने पर, अपना अधिकार जताया हैl खोई थी अपने ही घर में, जाने कितने वर्षों तक, पर, घर के एक खाली कोने में अब अपना स्थान बनाया हैl अपने घर में अपने होने की, स्वीकृति दर्ज करा ली हैl […]

आरक्षण की आग से मत किसी से खिलवाड़ करो, धर्म जाति के आरक्षण पर मिलकर पुनर्विचार करो। जब तक धर्म-जाति पर, आरक्षण का प्रबंध नहीं होगा.. तब तक भारत में जातिगत भेदभाव बंद नहीं होगा। कितने सवर्ण दिखा दूँ ऐसे, जिनके घर में खाना नहीं है.. गरीब ब्राह्मण भूखा मर […]

उमड़-घुमड़ कर आई बदरिया, लाज-शरम की ओढ़ी चदरिया। सिमट-सिमट चली प्रेम डगरिया, ज्यों की त्यों आ गई सांवरिया। पल-भर में उड़ गई चुनरिया, यौवन की भरपूर उमरिया। उमड़-घुमड़ कर आई…॥ भोर भए फिर आई बांवरिया, हांथन की दे-दे के थपकियां। बांहन में भर गई सजनिया, पल-भर में बीती दुपहरिया। सपने […]

रथविहीन हूँ हे गिरधर,क्या तारणहार बनोगे तुम। बीच भंवर में नैया है,क्या अब पतवार बनोगे तुम॥ कालिंदी के कुल,कदम्ब की डाल पे बंशी बजाओगे। या चक्र सुदर्शन धार पातकी का संहार बनोगे तुम॥ कोदण्ड उठाकर अब फिर से,क्या दाशरथि तुम आओगे। दसकन्धर के अट्टाहास से क्या मुक्ति दिलवाओगे॥ शर-संधान चाप […]

शारदे माँ तारदे माँ,जीवन संवार दे माँ, लेखनी से मेरी माता,देश का विकास हो। गीत लिखूँ जीत के माँ,हँसी-खुशी,प्रीत के माँ, धरती अकाश झूमे,जब मधुमास हो। न रहे गरीब कोई,न बेरोजगार रहे, अंधियारा मिटे और ज्ञान का प्रकाश हो। जाति-पाती बन्धनों में बंधा न ये देश रहे, सबके दिलों में […]

सीमा के बाहर से  दुश्मन, सरहद के  भीतर  गद्दार। दोनों एक हुए हैं मिलकर, इन्हें पठाओ यम के द्वार॥ एक  हाथ  में  पत्थर,दूजे हाथ लिए घातक हथियार। भारत माता को पहनाओ, ऐसे   नरमुंडों   के   हार॥ भरतवंशियों! निंद्रा त्यागो, रक्तबीज का करो सफाय। अब  तो जागो मीत हमारे, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।