न हिजरत कर…… न आँसू बहा, अगर करना है कुछ,तो बस इंकलाब ला। ये सिस्टम है……नामर्दों का, जरूरत है जवानों की,अब जाग जा.. अब जाग जा। यहाँ बिकती है कुर्सी,यहाँ शासन लुटेरों का, ये पहुँचे हैं यहाँ तक,बेच कर अपना ईमां न हिजरत कर……. न आँसू बहा.. अगर करना है […]
काव्यभाषा
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