ये कैसा दर्द दिया,मेरी मौत को शर्मसार किया, माना तुम नौजवान थे,जांबाज थे बहुत ये क्या कर दिया नाजुक-सी ककड़ी को हाथों से मसल दिया। मैं गुड़िया नाजुक-सी,नन्हीं कली दुलारी मां-बाप की,लाड़ली भाई की अपने। जाती थी पाठशाला होकर बहुत खुश, दिन उस भी कह मां को गई आती हूँ […]

  आसमां का कतरा जो पिघला तो पिघलकर बून्द बन गया, और आसमां से बिछुड़कर धरती से मिल गया.. पर आसमान से धरती तक का उसका सफ़र बड़ा अजीब था, वही बिछुड़ा उससे जो सबसे उसका अज़ीज़ था.. एक नई दुनिया में उसे जाना है अनजाने रिश्तों की गाँठ में […]

मैं केवल कोशिश करता हूँ, शब्द कलरवित  गाने  की। मैं केवल कोशिश करता हूँ, गंगाजल में नहाने की। कोशिश सदा यही रहती कि, प्यास बुझे  जमजम  जल से। मैं केवल कोशिश करता हूँ, गुरूद्वारा  में  जाने  की॥                           […]

(राष्ट्रध्वज तिरंगे के जन्मदिन पर ) भारत माता आपका कोटिश आभार, राष्ट्र ध्वज का दिया साकार आकार। अशोक चक्र लेकर शक्ति का आधार, तीन रंगों में समाया विशेषताओं का सार॥ तिरंगा भाईचारे की बहाता है रसधार, भेदभाव से कोसों दूर इसकी पतवार। सद्भाव-एकता-प्रेम का कर श्रंगार, शत्रुओं का संहार करता […]

वक्त बेवक्त रूठ जाते हैं, सौ जतन करते हैं मनाते हैंl वो कोई नज़्म थी अधूरी-सी, अब तलक हम उसे ही गाते हैंl लम्हा-लम्हा गया उदासी में, कतरा-कतरा वो याद आते हैंl दिल मेरा तोड़कर वो रख देगा, फिर भी हम उसको आज़माते हैंl बेवफ़ा हो ही वो नहीं सकता, […]

  नही हैं छाया पेड़ों की, जो है उसका कर रहा हूँ नाश नाम मेरा विकास। औद्योगिकीकरण की चादर ओढ़े, घूमूं छोटे–बड़े शहरों में हरियाली है दुश्मन मेरी लगाता हूँ कारखाना,कर जंगल साफ़, संग प्रकृति खेल रहा हूँ ख़्वाब है मेरा अंधविकास, नाम मेरा विकास। कारखानों से निकले रासायनिक प्रदार्थ, देता हूँ नदियों में डाल जल प्रदूषण में है योगदान, लक्ष्य है महाविकास चाहे हो मानवता का ह्रास, प्रकृति को नियंत्रित करूँगा है मेरा ये थोथा अभिमान, नाम मेरा विकास। वृक्षों से ऊँची है इमारतें अपार, घर–घर में वाहन हैं दो–चार वायु विषैली जीवन नर्क समान मशीनें करेगी काम-धाम आलस्य का होगा अधिकार, बन जाएगा नाकारा इन्सान.. नाम मेरा विकास। है विनाशक यंत्र,अणु–परमाणु बम, संहारक सम्पूर्ण मानवता का अविष्कार किया कई देशों ने, वर्चस्व स्थापित,शक्ति–दर्शाने को प्रयोग हुआ मिट जाओगे नाम मेरा विकास।।                                   […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।