मेरे दिल की एक आरजू, तेरे दिल में बस जाऊं मैं। तेरे दिल में बस जाऊं मैं…l भेष बदलकर आता रहूँ मैं, हर उत्सव में शामिल होने। देकर अपनी सारी खुशियाँ तेरा घर महकाऊं मैं…ll पतझड़ का मौसम आए तो, छाया बनकर छा जाऊं मैं। सूनापन गर लगे तुझे तो, ग़ज़लें बनकर आँधी जाऊं मैं। मेरे दिल की एक आरजू…ll   तेरे दिल की हर दीवार पर, तस्वीरें खूब सजाऊं मैं। आँगन में तेरे आकर, रंगोली नेक बनाऊं मैं ll बाहुपाश में तुझे झुलाकर, तेरा दिल बहलाऊं मैं। प्रीत करूँ तुझसे ऐसी, प्रियतम तेरा कहलाऊं मैं ll मेरे दिल की एक आरजू…l रंग-बिरंगी कलियाँ सीकर, प्रीत सेज की सजाऊं मैं। कंचन कामुकमय मूरत को, निज नयनों में बसाऊं मैं ll मादकता लहराते आँचल की, निज साँसों में बसाऊं मैं। तुझे नजर लगे न इस दुनिया की, `मनु` काजल बनकर सज जाऊं मैं l मेरे दिल की एक आरजू…ll झीने-झीने पट में जब तू, हौले-हौले मुस्काती है। अंग-प्रत्यंग तेरा कम्पन करता, आलिंगन में जब आती है। […]

रंग बहारों के चलो लाएं हम, पुरानी दुनिया फिर से बसाएं छोड़कर सारे फेसबुक दोस्त, आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l   सच्चे मन के भाव को, दिल को दिल से बाँधकर व्हाट्सअप को त्याग कर, आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l   झूठे शब्दों का बहिष्कार कर, […]

  भ्रष्टाचार आज देश की है,हकीकत, इसने मेरे देश का किया है रूप,विकृत l कभी अपराधी बन के नेता तो, कभी अभिनेता बन के नेता बताते हैं अपनी असली,फितरत l कला और प्रतिभा एक कोने में छिप जाती है, धन ही दिखाता है अपनी असली,मूरत l ऊपर का हो या […]

 मायके की याद न   भुला पाऊँगी। ससुराल को अपना  घर बनाऊँगी॥ पीहर के संस्कारों से ससुराल महकाऊँगी। मैं एक बेटी बनकर बहू का फ़र्ज़ निभाऊंगी॥                                                 […]

रहनुमा मुल्क के अच्छे जब से आने लगे, अच्छे दिन आने लगे बुरे दिन भूलने लगे। बरसों से पड़े थे जो कचरों के ढेर यहाँ, स्वच्छ अब हर गांव और शहर दिखने लगे। भ्रष्टाचार  मिट गया फैला ईमान का उजाला, हर जगह पारदर्शिता के आईने दिखने लगे। रामराज की बातें […]

विघ्नहर्ता-सुखकर्ता गणेश, करेंगे  आज घर-घर प्रवेश। रिद्धि-सिद्धि,   शुभ-लाभ, सहित पधारेंगे आज गणेश॥ बुद्धिदायक,चिंतामण गणेश, दूर करने आएं हमारे क्लेश। प्रिय मोदन  लड्डू का भोग, पाकर हो जाते प्रसन्न गणेश॥ फलदायक , एकदंत गणेश, शुद्ध करने आए हैं  परिवेश। माता-पिता की सेवा का पाठ, पढ़ाने घर-घर  आए गणेश॥ सुख समृद्धि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।