चमन-चमन खिला हुआ कली-कली निखार है। जहां में आज हर तरफ मुहब्बतें हैं प्यार है॥ खिले हुए हैं गुंचे सब फ़ज़ा भी ख़ुशगवार है। बसंत है तो हर तरफ बहार है बहार है॥ भरी हुई है ख़ुशबुओं से आज तो बयार है। हवाएं झूमती हैं और बज रहा सितार […]
काव्यभाषा
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