सृजन

1
0 0
Read Time3 Minute, 49 Second
amit mishra
          बहुत दिनो बाद  रामु  शहर से  गाँव वापस आ  रहा था l
तीन-चार  दिन  के  य़ात्रा के बाद गाँव पहुंचा।  गाँव में  सब  कुछ बदला-बदला सा नज़र  आ रहा था ,बस अड्डा, मकान सब कुछ पक्के बन गये थे। मानो सब कुछ पराया सा लग रहा था, अचानक रामु की  नज़र बरगद  के पेड़ पर  परी ,फिर  उसके  निचे  बने चौपाल पर एक  नज़र  परते  ही रामु  की आखें भर  आई  l
जैसे  कोई  पुरानी  याद  ताजा  हो गई  हो ……..
         अरे  ए  तो ओही चौपाल है जहाँ  हम  सभी  खेलते-खेलते  बड़े  हूए , यहाँ  तो  पूरा  बचपन हमने  देखा  है l जब  भी  पापा  मुझे  ढूँढ़ा  करते  थे , तो  माँ  कहाँ करती  थी  “चौपाल ” हो आओ  रामु  ओहीं  मिलेगा , उस  ज़माने में  गाँव के  सारे  बच्चे यहीं  मिल  जाया  करते  थे l ए  चौपाल  बच्चे  और  अन्य  लोगो से भरा  रहता  था , शियाम  चाचा  हुक्का  पिते  हूएे गाँव के  बड़े  से  बड़े  मसले सुलझाया  करते  थे , ए  ओही  जगह  है जहाँ मोहन लाल की  बेटी पिंकी की  शादी  के  वक़्त जब दहेज  का  मामला  सामने  आया  था….
        लड़के  वालो  ने  दहेज  के लिये शादी  से  मना कर  दिया  था , गरीब मोहन लाल ने अपने गाँव के एक-एक लोगो को इक्टठा कर के  इसी चौपाल मे  इंसाफ की गुहार लगाई  थी, लेकिन इस गरीब बाप को इंसाफ ना मिला, मिला  तो बस….. रूसवाई और  कलंक …..
        मोहन लाल अपने बेटी के  भविष्य से चिन्तित होकर, अपनी गरीबी से  तंग आकर  इसी  बरगद के  पेड़ पर  फासी  लगा  कर  अपनी  जान  दे  दी  थी ….पता ही नहीं चला की मौत किस्की हुई एक गरीब की , एक मजबूर बाप  की या इंसानियत  की…….
        तब  से  मानो  यह  चौपाल जैसे  श्रापित हो  गया  हो, लोग  अपने  बच्चे  को  यहाँ  खेलने भी आने  नही  देते…लोग  रात  को  इस  रास्ते  से  जाने  से  भी  डरते है ….
        लोगो  का  मानना  है  आज  भी गरीब  मोहन लाल की  आत्मा इसी  चौपल  में  भटकती है ……तब से यह चौपाल और  ए  बरगद का पेड़ हर आने जाने वाले मुसाफिर से मानो ए ही कह रहा हो की …
          वक़्त के तराजू से हमें ना तौल  गालिब ….
          वक़्त के आयने  से  हमने ज़माने  देखें है …
        ए  समाज  की कुरीती ही  तो  है  जो  दहेज  के  नाम  पे  जिते  ज़ागते  “चौपाल ” को  समशान  बना  डाला ….यहाँ  और  संसार में  सब  बदल गया,  ना बदला  तो  लड़कीयों के प्रति लोगो की  सोच  और  ए  दहेज  प्रथा….
        अचानक  रिक्से वाले  ने  आवाज लगाई  साहाब  घर  आ  गया  आपका ……
#अमित मिश्रा
परिचय : अमित मिश्रा की जन्मतिथि-७ जनवरी १९८९ तथा  जन्म स्थान-आबादपुर,जिला-कटिहार(बिहार)हैl आप  वर्तमान में जयपुर विमानतल के समीप सीआईएसएफ इकाई(प्रताप नगर)में रहते हैंl श्री मिश्रा बिहार राज्य के शहर बरसोई से होकर बी.ए.(ऑनर्स)तक शिक्षित हैंl आपका कार्यक्षेत्र-सीआईएसएफ ही हैl हिंदी लेखन के शौकीन अमित जी की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल,कविता सहित कथा,लघुकथा एवं मुक्तक हैl आपके लेखन का उद्देश्य मन के भावों को उकेरना हैl 

Arpan Jain

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “सृजन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

विकासशील इंदौर का विस्तारवादी चेहरा रहे सेठ साहब

Wed Feb 28 , 2018
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ सन् १९३१ का नवंबर केवल दूसरे गोलमेज सम्मेलन के लिए नहीं याद रखा जाएगा बल्कि इंदौर को एक दहाड़ता शेर भी इसी माह की१८ तारीख को इंदौर शहर के भविष्य के स्वर्णिम अध्याय बुनने के लिए अवतरित हुआ था | एक ऐसा शख्स जिसने ताउम्र दरियादिल और […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।