हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है जिसे अन्य प्रांतीय लोग भी बड़ी सरलता से सहजता से बोलने व समझने का सामर्थ्य रखते हैं । हिंदी एक ऐसी भाषा जो सही अर्थों में जन जन को एक सूत्र में बांधकर रखकर माँ  स्वरूप अपनी अन्य भाषा बेटियों को एक साथ लेकर […]

कल हिंदी दिवस था। यह कौनसा दिवस है, हिंदी के महारानी बनने का या नौकरानी बनने का ? मैं तो समझता हूं कि आजादी के बाद हिंदी की हालत नौकरानी से भी बदतर हो गई है। आप हिंदी के सहारे सरकार में एक बाबू की नौकरी भी नहीं पा सकते […]

राष्ट्रभाषा को समझने से पहले राष्ट्र, देश और जाति शब्दों को समझना असमीचीन न होगा। वस्तुत: ‘राष्ट्र’ को अंग्रेज़ी शब्द ‘नेशन’ (Nation) का हिन्दी पर्याय माना जाता है, किंतु इन दोनों शब्दों में कुछ अंतर है। अंग्रेज़ी में ‘नेशन‘ शब्द से अभिप्राय किसी विशेष भूमि-खंड में रहने वाले निवासियों से […]

सच सोचनीय विषय है,जब हिंदुस्तान में हिंदी का सम्मान नही तो और कही कैसे होगा? सर्वप्रथम हम सब को अपनी मातृ भाषा से प्रेम करना होगा। हर कोई अंग्रेजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है, जब शिक्षा ही योग्य नही मिलेंगी, तो संस्कार और हिंदी का प्रचार और […]

हिन्दी तुम किनके भरोसे हो..!  साँच कहै ता- जयराम शुक्ल  दिलचस्प संयोग है कि हिन्दी पक्ष हर साल पितरपक्ष के साथ या आगे पीछे आता है। परंपरानुसार हम लगेहाथ हिन्दी के पुरखों को याद करके उनकी भी श्राद्ध और तर्पण कर लेते हैं। हाल ही हम माँरीशस के विश्व हिन्दी […]

माँ, मातृभूमि और मातृभाषा का कर्जदार राष्ट्र का प्रत्येक निवासी है, और इसी कारण ही राष्ट्रवासी अपने सेवा के भाव को जीवित रखते है।  हिंदी न केवल एक भाषा मात्र है बल्कि भारत की सांस्कृतिक अखंडता के परिचय का दूसरा नाम है। ‘एक राष्ट्र- एक राष्ट्रभाषा’ के सिद्धांत में ही भारत […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।