तारीखों पे लिखें जो कोई नज़्म,तो काफि बातें याद आती हैं। कहीं ख़ुशी तो कहीं गम भरी तारीखें याद आती हैं। खुशी की हो या हो गम की,तारीख़ तो निकल जाती है। नई तारीख़ के साथ नई सुबह, सूरज की किरणों संग हमारे द्वारे दस्तक दे जाती है। फिर एक […]
काव्यभाषा
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