ख़्वाब सजाते हैं आँखों के जो देखे सपने होते हैं रहते हैं उनकी पनाह में पापा तो पापा होते हैं। ख़्याब सजाते हैं आँखों के जो देखे सपने होते हैं। दिन तपते हैं रात में जलते लहू चूसकर हम पलते हैं करते हैं ज़िद पूरी हमारी गलती पर परदा करते […]
काव्यभाषा
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