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अलसाया-सा सूरज ढांक  के मुख सो रहा है, बादलों की गोद में भोर ने जो रखा पांव, धरा के मखमली सीने पर ओस की बूंदों ने चूमा उनको, चारों तरफ कुछ भी दिखाई नहीं देता, दूर तक जिधर भी देखो एक धुंधलका-सा है,  मौसम में ठिठुरन और हवाओं में भी […]

  मजबूरी तो गजब की चीज होती है, बहुतों को रुलाती है ये ऐसी होती है। दिखाई देती तो नहीं किसी को मगर, जग में ये बहुतों में ही दिखाई देती है। बच्चे सड़कों पर भटकने को मजबूर, पेट भरने के लिए कमाना मजबूरी है।  औरतें नाचती-गाती हैं गैरों के […]

#हिन्दी के शोधार्थी,भाषासारथी,लेखक आदि प्रतिभाओं का हुआ सम्मान #रंगारंग हिंदी-कश्मीरी प्रस्तुतियों से लुभाया विद्यार्थियों ने  श्रीनगर। घाटी में हिन्दी के विकास व विस्तार के लिए कार्यरत संस्था ‘वादीज़ हिंदी शिक्षा समिति’ (पंजी.) श्रीनगर ने  ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ (पंजी.) इंदौर व ‘आकाशवाणी केंद्र श्रीनगर’ के साथ मिलकर बुधवार को टैगोर हॉल […]

आसान नहीं होता सांसारिकता में बंध तुम्हें रचना, फिर भी मैं प्रयास करती हूँ, हे साहित्य! मैं तुम्हें आत्मसात करती हूँ। मिले हो ईशाशीष से, तुम्हें प्रीत का मुधरतम् गीत मान मैं तुम्हें काव्यसात् करती हूँ, हे साहित्य! मैं तुम्हें आत्मसात करती हूँ। हाँ प्रेमासक्त हुई तुम संग,मैं प्रेम शंख […]

बचपन से सबको यही कहते सुना है औरतें देवी स्वरूप होती हैं। सुंदर वर्ण,सर्वगुण संपन्न,नारी की ऐसी कल्पना ही क्यूं होती है। आत्मनिर्भर,अभेय ,प्रतिभावान,कुछ ऐसी परिभाषाएं भी तो होती है॥ क्या सच में औरतें देवी का रूप होती हैं ? मां-बहन-पत्नी-बेटी,हर किरदार निभाती है। अग्निपरीक्षा हो या शादी का रिश्ता,हर […]

छेद ओजोन में नहीं, भारत माँ के आंचल में हो गया है। पढ़े-लिखे तो कतार में खड़े हैं, अनपढ़ों को सत्ता की पदवी मिल रही है लूट रहे हैं मायावी मोरे बनकर, राजनीति तो हिरन वारि बन गई । सत्य निष्ठ,अदब तो अल्प हैं यहां, सत्ता तो जुर्म छुपाने का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।