आज सखी ‘शिक्षक यात्रा’ पर हम पंख लगा लेते हैं, सब कुछ भूलकर आज नई उड़ान भरते हैं। भूल जाते हैं आज २०-४० उम्र का फासला, जी लेते हैं आज मिलकर जो पल हमें  मिला। वो सुबह उठकर घर की व्यस्तता, सात बजे स्कूल पहुंचना,यही होता था पता। स्कूल में […]

उनसे  दिल लगाना ता-उम्र की ……मुसीबत हो गई, आहें भरते रहने की अब तो हमें ……आदत हो गई। मूंदकर पलकें उन्हें हमने अपना….खुदा माना, सज़दे में उनके सिर झुका लिया… इबादत हो गई। शीशे-सा दिल अपना अब हम…. सम्भालें कैसे, जमीं पर जो पांव रखा उसने… नजाकत हो गई। बयां […]

( सशत्र सेना ध्वज दिवस पर विशेष) राष्ट्रीय ध्वज शौर्य शांति साहस, तीन रंगों में राष्ट्र प्रेम सन्देश सेना को नमन है। मैं गीत लिखूं पर कैसे लिखूंगा, मन के भाव कागज़ पर लहू के रंग में रँगे हैं। गौरी के गाल सियासत की चाल जैसे लगते, पायल लगे जैसे ज़ंजीर […]

उप शीर्षक-श्रेष्ठ साहित्य सृजन करने वालों का हुआ सम्मान   अकोलाl बाल साहित्य का सृजन समय की आवश्यकता और भावी पीढ़ी के भविष्य को संवारने वाला होना चाहिए। खास बात यह है कि जिनके लिए साहित्य लिखा जा रहा है,उन तक यह साहित्य पहुँचना बहुत जरुरी है। बाल साहित्य को […]

उससे मोहब्ब़त की चाहत में जब भी दिल लगाया, कविता को लिखा जब भी दिल टूटा कविता  को लिखा। कुछ पन्ने खो गए, कुछ पन्ने रद्दी की टोकरी में चले गए कुछ को मैंने जला दिया, कुछ खुद-ब-खुद गायब़ हो गए। बार-बार कलम पकड़ी, बार-बार कलम छोड़ी इसे पकड़ने और […]

अंग्रेज़ी शिक्षा का ढांचा,खड़ा किया मैकाले ने, जैसे सिर पर जूता मारा,लिपटा किसी दुशाले में। भारत मनीषी बना रहा था,गुरुकल में संस्कारों से, बना दिया है मशीनों-सा अब,शिक्षा के हथियारों से॥ उसने सोचा संस्कारों का,धीरे-धीरे हरण करो, सीधे जड़ से भी मत काटो,धीरे-धीरे क्षरण करो। जैसे-जैसे अंग्रेज़ी,माथे पर चढ़ती जाएगी, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।